इश्क़ पर 20 बेहतरीन शेर
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या आगे आगे देखिए होता है क्या कोई समझे तो एक बात कहूँ इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’ कि लगाए न लगे और बुझाए न